Saturday, December 17, 2011

व्यवहारिक प्रेम की पंक्तियाँ...!!

भ्रमर की गूँज को सुन कर कुमुद तो मुस्कुरुता है,
समक्ष पा कर उसे खुश हो अदा से झुक लजाता है,
अदा तेरी मेरी सजन कुमुद से कम नहीं कुछ भी,
की ज़िक्र-ए-इश्क गालों पर तेरे लाली सजाता है....!!



सुबह के सूर्य की किरणों से सारा जग नहाता है,
कोई पूजा करे उसकी, तो कोई गीत गाता है,
छडिक है वो तू हर पर साथ मेरे सांस की तरह,
की रौशन दिल मेरा सजदे में तेरे सर झुकता है....!!



इस धरती से उस अम्बर की ये दूरी पुरानी है,
इस दूरी में उनके प्रेम की तो कुछ कहानी है,
नहीं बनना मुझे अम्बर न रहना दूर है तुझसे,
फलक पर संग तेरे मुझको नयी दुनिया बसानी है....!!



राधा का प्रेम है निश्छल वो किसना की दीवानी है,
मीरा हरी दरस के वास्ते जग से बेगानी है,
है पवन बहुत ये प्रेम, करते लोग हैं पूजा,
ये मन बन जाये एक मंदिर तेरी मूरत बसानी है....!!



देखो तो उस चकोरे को जो इंदु से प्रेम करता है,
देखता रोज़ है उसको वो उसपर रोज़ मरता है,
की है मालूम उसे ये बात मिलन ये हो नहीं सकता,
पर तू मिल जाएगी मुझको मेरा दिल दम ये भरता है....!!


उदयन

Sunday, July 31, 2011

हिसाब- ए- मंजिल

जो चल पड़े हो तो कहीं पहुचोगे जरूर, पर पहुच कर एक बार देख लेना ....

की दामन में लगे कितने दाग हैं ,
की सीने में बाकी, अभी कितनी आग है,
की कारवां में कितने तुम्हारे साथ हैं ,
की सर पर रखे अभी कितने हाथ हैं,
की कितने घाव इस दिल पर लगे हैं,
की कितने इलज़ाम माथे पे सजे हैं,
की कब - कब अश्कों का सैलाब है आया,
की कब मन हौले से है गुनगुनाया ,
की कब ऐसा लगा की वक़्त यहीं थम जाये,
की देख लेंगे जो हो, हज़ार गम आये,
की कब उसके न होने की कमी खली हैं,
कब उसकी खुशबु लिए ये हवा चली है,
कब सोचा इस पल में तमाम उम्र जी लें,
टपकती शबनम को हथेली में ले ले, पी लें,
की कब आँखे मूँद कर उस वली को याद किया,
कितनों को ठेस दी, कितने दिलों को शाद किया,
की कितनी हसरतें पूरी होने का तुमको नाज़ है,
की तुममें बाकी क्या आम क्या मुमताज़ है,
सफ़र में कितने रकीब कितने अहबाब हुए,
ले कर चले जो उनमे मुकम्मल कितने ख्वाब हुए,
की कब हसीं तकदीर ने इस पाँव का बोसा लिया,
की कब कड़ी तदबीर ने भी राह में धोका दिया,
की कब गुनाहों में तूने शर्मिंदगी महसूस की,
की कब अहले-जहाँ ने तुझमें बंदगी महसूस की !!


जो चल पड़े हो तो कहीं पहुचोगे जरूर,
पर इन सबका ज़वाब लेकर मुझसे हिसाब कहना,
की तब अपनी ज़िन्दगी को आबाद कहना....!!


...उदयन ...



Monday, February 16, 2009

HLA Theme Song...

Humne raho me banaye hai kadmo k nishan
More k pankh par sikko k saman
Tarkash mein teer apne kaandhe p kamaan
Manzil ko chale hai hum,chale hai seena taan !!

Humne katoo ko hatho se tood k dekha hai
Humne patharo ko thokar se ukhaad k feka hai
Mushkilo se ladne ka junoon ye aisa hai
Na baandh hai na seema hai na rok na rekha hai !!

Humne hawa me banaye hai sapno k mahal
Neeche irado ki neev hai thos aur atal
Nayi soch ki,vicharo ki, rishto ki pehal
Dekho rishta na toote soch jaye na badal !!

Nadiya ki dhara se badhe hai ye kadam
Rukna nahi hai aage jayenge har dam
Din ho ya raat roshni na hogi kam
Kyonki suraj bhi hum hai aur chaand bhi hai hum !!


Chalte hue kitni he rahon par tehle
Unn manzilo ko paya jo dekhi na thi pehle
Sapne sabhi apne haqiqat mein badle
Hum tej hain,safalta hain,hum hain HLA !!